रायपुर। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने वर्ष 2024-25 के बजट के अंतर्गत विभिन्न विभागों के मंत्रियों को पत्र लिखा है। वित्त मंत्री ने पांच मंत्रियों के विभागों में बजट की राशि के कम खर्च होने पर यह चिट्ठी लिखी है। वित्त मंत्री चौधरी ने मंत्रियों से आग्रह किया है कि खर्च की गति बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा है कि बजट जिस अनुपात में खर्च किया जाना चाहिए था उस अनुपात में खर्च नहीं हो रहा है।
वित्त मंत्री चौधरी ने मंत्रियों को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि बजट के निर्धारित मापदंड के अनुसार पूंजीगत व्यय के लिए प्रत्येक तिमाही के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं और इसके अनुसार पूंजीगत व्यय होने से कार्यों में निरंतरता के साथ अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। वित्त मंत्री ने अनुरोध किया है कि कार्य योजना तैयार कर और नियमित पर्यवेक्षण के माध्यम से बजट लक्ष्यों की पूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है। इससे समय पर लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी और समग्र विकास की दिशा में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
वित्तमंत्री चौधरी ने गृहमंत्री विजय शर्मा को पत्र लिखा है और कहा है कि वर्ष 2024-25 के बजट में आपके विभाग से संबंधित बजट में पूंजीगत व्यय के लिए किए गए प्रावधानों के विरूद्ध अगस्त माह तक गतवर्ष की तुलना में काफी कम व्यय हुआ है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में 171 करोड़ तथा गृह विभाग में 31 करोड़ पूंजीगत व्यय हुआ है। वित्त विभाग की ओर से विभागों के लिए निर्धारित व्यय सीमा के अनुसार प्रथम छः माही में 40 प्रतिशत (प्रथम तिमाही में 25 प्रतिशत एवं द्वितीय तिमाही में 15 प्रतिशत) व्यय किया जाना है। विभाग में पूंजीगत व्यय की योजनाओं के अंतर्गत स्वीकृत कार्यों में निरंतर व्यय तथा इसका नियमित पर्यवेक्षण किया जाना आवश्यक है। पूंजीगत व्यय अधिक होने से रोजगारों का सृजन तथा अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में गुणात्मक प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि पूंजीगत व्यय अंतर्गत निर्माण कार्यों के लिए निर्माण कंपनियों/ठेकेदारों के समय पर भुगतान करने से कार्यों की निर्धारित समयावधि में पूर्णता सुनिश्चित होती है। इससे कार्यो की गुणवत्ता भी बेहतर होती है तथा भविष्य में कार्यों की निविदा दरों में भी कमी आती है। अतः 31 जुलाई 2024 तक लंबित सभी नियमित देयकों का भुगतान 30 सितम्बर 2024 तक करने के लिए कृपया अपने अधीनस्थों को निर्देशित करने का कष्ट करें।
वहीं वित्तमंत्री चौधरी ने कृषि मंत्री रामविचार नेताम को लिखे पत्र में कहा है कि वर्ष 2024-25 के बजट में आपके विभाग से संबंधित बजट में पूंजीगत व्यय के लिए किए गए प्रावधानों के विरूद्ध अगस्त माह तक गतवर्ष की तुलना में काफी कम व्यय हुआ हैं। आदिमजाति विकास विभाग, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग में 20 करोड़ एवं कृषि विकास और किसान कल्याण विभाग में 18 करोड़ पूंजीगत व्यय हुआ है। वित्त विभाग की ओर से विभागों के लिए निर्धारित व्यय सीमा के अनुसार प्रथम छः माही में 40 प्रतिशत (प्रथम तिमाही में 25 प्रतिशत एवं द्वितीय तिमाही में 15 प्रतिशत) व्यय किया जाना है। विभाग में पूंजीगत व्यय की योजनाओं के अंतर्गत स्वीकृत कार्यों में निरंतर व्यय तथा इसका नियमित पर्यवेक्षण किया जाना आवश्यक है। पूंजीगत व्यय अधिक होने से रोजगारों का सृजन तथा अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में गुणात्मक प्रभाव पड़ता है।
वहीं वन मंत्री केदार कश्यप को वित्तमंत्री चौधरी ने पत्र लिखा और कहा है कि वर्ष 2024-25 के बजट में आपके विभाग से संबंधित बजट में पूंजीगत व्यय के लिए किए गए प्रावधानों के विरूद्ध अगस्त माह तक गतवर्ष की तुलना में काफी कम व्यय हुआ हैं। जल संसाधन विभाग में 655 करोड़ वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में 80 लाख पूंजीगत व्यय हुआ है। वित्त विभाग की ओर से विभागों के लिए निर्धारित व्यय सीमा के अनुसार प्रथम छः माही में 40 प्रतिशत (प्रथम तिमाही में 25 प्रतिशत एवं द्वितीय तिमाही में 15 प्रतिशत) व्यय किया जाना है। विभाग में पूंजीगत व्यय की योजनाओं के अंतर्गत स्वीकृत कार्यों में निरंतर व्यय तथा इसका नियमित पर्यवेक्षण किया जाना आवश्यक है।
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव को पत्र लिखा और कहा है कि वर्ष 2024-25 के बजट में आपके विभाग से संबंधित बजट में अगस्त माह तक गतवर्ष की तुलना में काफी कम व्यय हुआ हैं। लोक निर्माण विभाग में 1320 करोड़ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में 220 करोड़ नगरीय प्रशासन विभाग में 348 करोड़ तथा विधि और विधायी कार्य विभाग में 2.29 करोड़ पूंजीगत व्यय हुआ है। विभाग में पूंजीगत व्यय की योजनाओं के अंतर्गत स्वीकृत कार्यों में निरंतर व्यय तथा इसका नियमित पर्यवेक्षण किया जाना आवश्यक है।
वहीं स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल को लिखे पत्र में वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा है कि 2024-25 के बजट में आपके विभाग से संबंधित बजट में पूंजीगत व्यय के लिए किए गए प्रावधानों के विरूद्ध अगस्त माह तक गतवर्ष की तुलना में काफी कम व्यय हुआ हैं। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में 91 करोड़ एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में 15 लाख पूंजीगत व्यय हुआ है। वित्त विभाग की ओर से विभागों के लिए निर्धारित व्यय सीमा के अनुसार प्रथम छःमाही में 40 प्रतिशत (प्रथम तिमाही में 25 प्रतिशत एवं द्वितीय तिमाही में 15 प्रतिशत) व्यय किया जाना है। विभाग में पूंजीगत व्यय की योजनाओं के अंतर्गत स्वीकृत कार्यों में निरंतर व्यय तथा इसका नियमित पर्यवेक्षण किया जाना आवश्यक है। पूंजीगत व्यय अधिक होने से रोजगारों का सृजन तथा अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने में गुणात्मक प्रभाव पड़ता है।