रायपुर। छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी और लू की वजह से लोगों की मौत हो रही है. आग बरसाते सूरज को देखते हुए स्कूलों में आयोजित समर कैंप को भी स्थगित कर दिया गया है. प्रदेश में पारा 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. मौसम विभाग ने लू की चेतावनी जारी की है तो वहीं स्वास्थ्य विभाग भी लू के खतरे को लेकर अलर्ट है.
अलर्ट के बीच चौंकाने वाली बात यह है प्रदेश के लाखों छोटे-छोटे बच्चों की जान जोखिम में डाली जा रही है. आंगनबाड़ी केंद्र तपती गर्मी में भी संचालित किया जा रहा है. नन्हे मुन्ने बच्चों के अभिभावक पूछ रहे हैं इतनी गर्मी के बीच कुछ दिनों के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद क्यों नहीं किया जा रहा है ? बच्चों को कुछ हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा ?
इनकी जान जोखिम में
प्रदेश में लगभग 52,193 आंगनबाड़ी केंद्र है. जिसमें टोटल हितग्राही 26,16,931 हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों में 6 माह से तीन साल के बच्चों की संख्या लगभग 10,47,630 है. तो वहीं 3 से 6 साल के बच्चों की संख्या 11,75,975 है और 1,57,274 गर्भवती महिला हैं.
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
प्रदेश भर के लिए 52153 आंगनबाड़ी केंद्रों में 50,912 वर्कर कार्यरत हैं. जो आंगनबाड़ी बंद करने की स्थिति में पोषण सुपोषण आहार हितग्राहियों के घर तक पहुंचा सकते हैं.
आंगनबाड़ी बंद के फैसले के बाद भी न टूटे पोषण आहार का चक्र
भीषण गर्मी को देखते हुए अगर बच्चों की जान को ध्यान में रखते हुए आंगनबाड़ी केंद्र बंद किए जाते हैं तो उनको दिए जाने वाला पोषण आहार उनके घरों में 15 दिन या एक माह के लिए मुहैया कराया जाना चाहिए. जिससे पोषण आहार का चक्र भी न टूटे और प्रदेश में कुपोषण से लड़ाई भी जारी है.
क्या कहते हैं डॉक्टर
IMA के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा आपदा, प्रकोप, बीमारी इन सब में बच्चे और बूढ़े रेड जोन में होते हैं यानी सर्वाधिक खतरा इनको होता है. तेज धूप और गर्म हवा से डिहाइड्रेशन होता है और लू के शिकार होते है. तेज धूप का असर त्वचा पर ही नहीं बल्कि मस्तिष्क पर भी होता है. इसलिए बच्चों को धूप से बचाकर रखने की जरुरत है. प्रदेश में पारा बढ़ गया है ऐसे में खतरा सबको है. इसलिए सब को सलाह है कि बाहर ना निकले. अति आवश्यक काम होने पर ही शरीर को अच्छे से ढक कर ही निकले.