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काव्या के काव्य संग्रह मेरी आवाज़ अकेली आवारा आज़ाद का विमोचन कार्यक्रम

देश के गांव कस्बे से आने वाले नये कवियों में बहुत संभावना है- पीयूष कुमार

रायपुर। आज की हिंदी कविताओं में नये बिम्ब और तेवरों के साथ आ रहे नवोदित कवियों में बहुत संभावना है. वे आज के गांव, शहर, महानगर, आर्थिकी, सत्ता और टेक्नोलाजी के जटिल संबंधों को समझ कर बेहतर रचनाएँ लिख रहे हैं, ये कहते हुए पीयूष कुमार समकालीन हिंदी कविता के बारे में कहते हैं आज के 9- 10 नवयुवा कवियों का जिक्र करूँगा, पराग पावन की कविताएं इस तरह की हैं जिसे उन्होंने मज़बूत मयार दी है. उनकी कविता में जो मज़बूती है वो प्रभावित करती है.

अब नये भारत में ऐसे कवियों की कविताएं अपने जमीनी यथार्थ की महक के साथ आ रही हैं.पहले इस तरह कवियों को शायद अवसर कम मिलते थे. विहाग वैभव उन्हीं के जुड़वा भाई हैं. दोनों की कविताओं में दर्द और बैचैनी है. मानसी मिश्रा दिल्ली विवि की कविताएं भी अपने सौष्ठव और अभिव्यक्ति में पर्याप्त मज़बूती रखती हैं. समाचार का एक कोना जैसी कविता वरिष्ठ कवि केदारनाथ अग्रवाल की कविता जाना पर केंद्रित है. वह उनकी सूक्ष्म पड़ताल करती, नये रहस्यो का उद्घाटन करती कविता है.

इसी तरह छत्तीसगढ़ मूल के कवि वसु गन्धर्व की कविताओं में बहुत संभावनाएं हैं वे गायक भी हैं. उनकी कविताओं में जो कहन की परिपक्वता है वह काव्य जगत में उनकी आगामी लम्बी पारी के लिए आश्वस्त करती है. काव्या की किताब का विमोचन कार्यक्रम वरिष्ठ कवि गिरीश पंकज, त्रिलोक महावर, डॉ आलोक वर्मा, संजय शाम, नंदन, शीलकांत पाठक आदि के द्वारा किया गया. इस अवसर पर अरुणकांत शुक्ला, नंदकुमार कंसारी, डॉ महेंद्र ठाकुर, मिन्हाज असद, बाळकृष्ण अय्यर, स्मिता अखिलेश, समीर दीवान, डॉ भुवाल सिँह ठाकुर, सुधीर आज़ाद तम्बोली, शेखर नाग आदि की उपस्थिति थी.

काव्या ने चुनिंदा कविताओं का पाठ किया. उनकी ” एक लड़की का बिगड़ जाना ” और कोरोना काल में मजदूरों की बेबसी पर लिखी कविता को पाठकों ने ज्यादा पसंद किया. त्रिलोक महावर ने काव्या की कविताओं पर अपनी समीक्षा प्रस्तुत की तथा उपस्थित कवियों गिरीश पंकज, अरुण कांत शुक्ला, डॉ आलोक वर्मा, संजय शाम, नंदन जी, शीलकांत पाठक ने कविताओं पर अपनी प्रतिक्रिया दी.

कार्यक्रम का सजग संचालन विनोद तिवारी फाउंडेशन की ओर से स्व विनोद तिवारी की पुत्री ऋचा ने किया, कार्यक्रम के प्रारंभ में बेमेतरा जिले के पिरदा ग्राम की बारूद फैक्ट्री में हुए विस्फोट से अकाल मौत मरने वाले मज़दूरों को दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजली दी गयी. तीन नवोदित कवियों ने अंत में अपनी कविताओं का पाठ किया. खैरागढ़ की पिलेश्वरी साहू, धमतरी से पुजाली पटले और रायपुर से प्रतीक कश्यप ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को प्रभावित किया. अंत में आयोजकों में से छत्तीसगढ़ न्यूज़ मीडिया इवेंट फर्म की ओर से पी सी रथ ने आभार व्यक्त किया।

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