बिलासपुर- छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पूर्व आबकारी मंत्री व विधायक कवासी लखमा को राहत देते हुए आवंटित शासकीय बंगला को खाली कराने के राज्य शासन के आदेश पर रोक लगा दी है। वर्ष 2018 में जब वे मंत्री पद पर काबिज थे तब राज्य शासन ने पुलिस अधीक्षक निवास के समीप आवास का आवंटन किया था। सुरक्षागत कारणों को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने लखमा को बंगला आवंटित किया था।
राज्य में सरकार बदलने के बाद पूर्व मंत्री को नोटिस जारी कर मंत्री बंगला छोड़ने व विधायकों के लिए आवंटित आवास में शिफ्ट होने कहा था। राज्य शासन द्वारा मंत्री बंगला छोड़ने जारी नोटिस को चुनौती देते हुए पूर्व मंत्री लखमा ने अपने अधिवक्ता के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। दायर याचिका में उन्होंने बताया है कि वह बस्तर के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आते हैं। कोंटा विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। कोंटा विधानसभा क्षेत्र से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। छह बार के विधायक हैं।
कांग्रेस सरकार में वे मंत्री पद पर काबिज रहे हैं। वर्तमान में राज्य सरकार ने इसी बंगले को मंत्री केदार कश्यप को आवंटित किया है। याचिका के अनुसार राज्य में सरकार बदल गई है। सरकारी आवास खाली करने व दूसरी जगह आवंटति आवास में शिफट होने कहा जा रहा है। सुरक्षागत कारणों का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने आवास खाली ना कराने की मांग की है। मामले की सुनवाई के बाद होई कोर्ट ने शासन के उस नोटिस पर रोक लगा दी है जिसमें याचिकाकर्ता को आवास खाली करने कहा गया है।
याचिका में इस बात पर दिया जोर
याचिकाकर्ता पूर्व मंत्री व विधायक लखमा ने अपनी याचिका बताया है कि धुर नक्सल क्षेत्र से आने के कारण नक्सली हमले की आशंका बनी रहती है। इसे ध्यान में रखते हुए जिला मुख्यालय में आवास आवंटित किया गया था। ऐसे में आवास बदलने से उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और अपने आपको असुरक्षित महसूस करेंगे। नक्सली हमले की आशंका को देखते हुए उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखकर जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है।