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कांकेर लोकसभा की बिसात बिछ रही है – कौन होगा प्रत्याशी भाजपा से ?

रायपुर/कांकेर।     लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने ही वाला है उसकी बिसात कांकेर लोकसभा सीट के लिये भी बिछ रही है ।कांकेर लोकसभा का क्षेत्र कांकेर जिले की 3 विधानसभाओं कांकेर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर ( तीनों आरक्षित) बालोद जिले की तीनों विधानसभाओं संजारी बालोद, डौन्डीलोहारा , गुंडरदेही , धमतरी जिले की सिहावा तथा कोंडागांव जिले की केशकाल विधानसभा तक विस्तारित है। उपरोक्त में केवल गुंडरदेही तथा बालोद सामान्य सीट हैं अन्य सभी 6 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये आरक्षित हैं।

लोकसभा चुनावों में उम्मीदवारों के चयन के लिये सभी राजनैतिक दलों की तरह भाजपा में भी विभिन्न जातीय समूहों की मतदाताओं में जनसंख्या के आधार पर चयन का प्रयास किया जा रहा है। इस दाव पेच रचे जाने में एक तरफ बस्तर के मूलतः गोंड जनजाति के उम्मीदवार हैं , धुर्वा गोंड उम्मीदवार हैं, मूलतः मराठी गोंड उम्मीदवार हैं और हल्बा गोंड उम्मीदवार भी दावेदारी कर रहे हैं। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि डी लिस्टिंग के आंदोलन को गति देने वाले उम्मीदवारों को भी पार्टी उम्मीदवार बनाती है या पुराने चेहरों पर दांव लगाने का प्रयोग दोहराया जाएगा।

चूंकि जातीय जनगणना न होने से विधानसभा वार ऐसे आंकड़े आधिकारिक रूप से उपलब्ध नही हैं जिससे औपचारिक रूप से यह कहा जा सके कि कुल कितने मतदाता किन आदिवासी समूहों के किस विधानसभा में हैं किंतु सामाजिक संगठनों के निजी सर्वे आंकड़ों के मुताबिक सिहावा , कांकेर में 55% भानुप्रतापपुर डौन्डी लोहारा में 57% केशकाल में 60% अंतागढ़ में 66% तथा संजारी बालोद एवं गुंडरदेही में 40% तक ही अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की उपस्थिति है।

कांकेर लोकसभा के नवीनतम आंकड़ों में मतदाताओं की कुल संख्या 16, 50,692 बताई गई है जिसमे अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या इन आंकड़ों के अनुसार 9 लाख से अधिक मानी जा सकती है।यानी 7 लाख 6 सुरक्षित सीटों पर और 2 लाख के करीब सामान्य सीटों पर ,ऐसे में किसी भी राजनैतिक दल के लिये उम्मीदवारों के चयन में इन सारी बातों का अवश्य ध्यान रखा जा रहा होगा ये माना जा सकता है।

सत्तारूढ़ भाजपा के प्रत्याशी चयन के लिये इस बार मुकाबला कड़ा दिखाई दे रहा है। इस बार आंतरिक सूत्रों से जैसी जानकारियां मिली हैं उसमें पाटन सीट के अलावा अन्य सभी सीटों से प्रत्याशियों में बदलाव के संकेत हैं ऐसे में कांकेर से भाजपा के कौन कौन प्रत्याशी हो सकते हैं इसकी जनचर्चा जारी है।

कांकेर लोकसभा से भाजपा के संभावित प्रत्याशियों की सूची –

1. मोहन मंडावी – वर्तमान सांसद हैं, स्नातकोत्तर शिक्षित, कांकेर ब्लाक के निवासी। जिनके पास कांकेर लोकसभा में अब तक सबसे कम वोट से जीतने का रिकार्ड हासिल है। उन्हें मात्र करीब 5000 वोटों से जीत हासिल हुई थी जबकि प्रदेश में कुल 9 भाजपा के सांसदों को बम्फर जीत मिली थी। सांसद बनने के पूर्व में वे शासकीय शिक्षक रहे थे इसलिए जीत के बाद भी भाजपा की कार्यप्रणाली से इनका ज्यादा लेना देना नही रहा, नतीजा ये कि इनकी मूल पहचान आज भी रामायण वाले मंडावी जी की ही बनी हुई है, नेता के रूप में कम ही चर्चा होती है। संसद में छत्तीसगढ़ और कांकेर के मुद्दे उठाने के लिये भी ये कोई पहचान इस कार्यकाल में नही बना पाए।

2. भोजराज नाग, पूर्व विधायक ( 2013-18) अंतागढ़ कस्बे के निवासी, शिक्षा 11 वीं उत्तीर्ण। पूर्व जनपद अध्यक्ष के अलावा संगठन में समय-समय पर सक्रियता। अंतागढ़ इलाके में गोंडवाना समाज समन्वय समिति अंतागढ़ के पदाधिकारियों ने अंतागढ़ थाने में भी शिकायत की थी और कलेक्टर, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन को भी इस संबंध में शिकायत की थी। पूर्व विधायक भोजराज नाग के महाराष्ट्रीयन गोंडवाना समुदाय से आने के कारण स्थानीय समाज से अलग होने का विवाद रहा है। निजी तौर पर महिला यौन शोषण का आरोप उन पर विभिन्न जनजातीय सामाजिक संगठनों द्वारा लगाया जाता रहा है। हालांकि यह घटना उनके विधायक बनने के पहले की है। अंतागढ़ के पास के एक ग्राम तहकाल की महिला से संबंध उजागर होने के बाद उसे तथा उसकी माँ को गायब कर देने का आरोप उन पर लगता रहा है। इसी कारण विवाद से बचने के लिये पार्टी द्वारा बाद में फिर टिकिट नही दी गयी। धर्मांतरण के मुद्दे पर यात्रा से चर्चा में आये थे।

3. विकास मरकाम, उम्र 36 वर्ष, स्नातकोत्तर तक शिक्षा, लक्ष्मीनगर टिकरापारा रायपुर के निवासी है नगरी में एक किराए के मकान में रह कर राजनैतिक तैयारियों में लगे हैं। मूलतः ये मध्यप्रदेश के बालाघाट इलाके के गोंड आदिवासी हैं जो रायपुर में आ कर बसे हुए हैं। अब भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सोशल मीडिया में भी सक्रिय हैं।

4. विजय मंडावी, उम्र करीब 52 वर्ष मूलतः गांव उड़कुड़ॉ तहसील चारामा निवासी हैं। बीई मेकेनिकल इंदौर से शिक्षित किन्तु वापस लौट कर अपने गांव में उन्नत कृषि फार्मिंग में संलग्न । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अभ्यास के तृतीय वर्ग का प्रशिक्षण प्राप्त करके विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते हुए दो दशक से भाजपा किसान मोर्चा , मंडल अध्यक्ष एवं अन्य दायित्वों के निर्वहन में संलग्न रहे हैं। 2003 से 2013 तक भाजपा संगठन की ओर से सांसद सोहन पोटाई के साथ निरंतर संगठन विस्तार में लगे रहे। पार्टी की ओर से दिए गए जिम्मेदारियों के तहत कांकेर लोकसभा की सभी विधानसभाओं में सतत संपर्क करके कार्यक्रमो को निष्पादित करते रहे। श्री सोहन पोटाई को 2014 में पार्टी की टिकिट न दिए जाने के बाद वे धीरे धीरे निष्क्रिय होते चले गए और सर्व आदिवासी समाज की गतिविधियों में उन्होंने अपना दखल बनाया, दूसरी ओर विजय मंडावी ने अपनी निष्ठा के साथ सक्रियता बनाये रखी। बस्तरिया गोंड समाज से आते हैं। पार्टी से विमुख होने वाले नेता से निकटता का आरोप इन पर लगता रहा।

5. सुमित्रा मारकोले, पूर्व विधायक उम्र 58 वर्ष स्नातकोत्तर शिक्षित भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्या व 2008 – 13 की कांकेर विधायक रही हैं। 2014 के लोकसभा प्रत्याशी के लिये मोहन मंडावी को बाहरी प्रत्याशी बताते हुए विरोध किया था। वैसे स्थानीय स्तर पर पार्टी के लिये हमेशा समर्पित रही हैं। बस्तरिया आदिवासी गोंड समाज से आती हैं। पार्टी की महिला विंग में सक्रिय रही है।

6. पिंकी ध्रुव शाह पूर्व विधायक नगरी सिहावा, दूसरी बार टिकिट मिलने पर पराजित हो गईं। हायर सेकेंडरी तक शिक्षित
ध्रुव गोंड समाज से आती हैं , मध्यप्रदेश के मंडला इलाके के शिवराज शाह से विवाह। राजनैतिक सक्रियता नगरी सिहावा इलाके में मात्र चुनावों के समय सक्रियता।लो

7. भूपेंद्र नाग, उम्र 30 स्नातकोत्तर कांकेर महाविद्यालय से , जिला मुख्यालय कांकेर के समीप ग्राम पंडरीपानी के निवासी।
भाजपा युवा मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन के अन्य दायित्वों में, सोशल मीडिया में सक्रिय हल्बा समाज मे आते हैं।

कांकेर लोकसभा में आदिवासी समुदायों के लिये सुरक्षित इस सीट पर मुख्यरूप से 4 प्रकार के आदिवासी मतदाताओं की अधिकता है। मूलतः बस्तरिया गोंड , ध्रुव गोंड , मूलतः मराठी गोंड तथा हल्बा आदिवासी समुदाय में आदिवासियों की जनसंख्या निवास करती है, जिनके रीतिरिवाज और सामाजिक व्यवहार में भिन्नताएं हैं। लोकसभा चुनाव में पूर्व में लगातार जीत हासिल करने वाले कॉंग्रेस के अरविंद नेताम और भाजपा के स्व. सोहन पोटाई भी मूलतः बस्तरिया गोंड समुदाय से आते रहे हैं।

अब देखना होगा कि जातीय, सामाजिक समीकरण के चलते किसे भाजपा अपना उम्मीदवार बनाती है।

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