अजय चंद्राकर ने विपक्ष पर साधा निशाना, कहा- हमारा बजट मोदी की गारंटी, इनका एटीएम का बजट होता था…

रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान गुरुवार को अनुपूरक मांगों पर चर्चा के दौरान अजय चंद्राकर ने कहा कि उनके 5 साल के बजट और हमारे बजट में बहुत अंतर है. हमारा बजट मोदी जी की गारंटी का बजट है, लेकिन इनका बजट एटीएम का बजट होता था. आपकी न्याय योजना केवल हाईकमान तक पहुंची है. यह बजट और भी ऊपर जाता था.

उन्होंने कहा कि 25 तारीख को छुट्टी नहीं रहेगी, 25 तारीख को हम दो साल का बोनस देंगे, और प्रशासन ऐसे चलती है. महतारी वंदन योजना पर सवाल उठाने का नैतिक अधिकार आपको किसने दिया. यह योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है. इसे भाजपा ने महसूस किया है, और हम यह भी देखेंगे पूरी तरह की कितने विवाहित है और कितने अविवाहित है. कांग्रेस की आदत है, गरीबों का मजाक बनना.

अजय चंद्राकर ने कहा कि 18 लाख मकान बनाए जाएंगे, राज्य के राज्यांश के लिए और यह ऐतिहासिक कार्य विष्णुदेव साय ने किया है. 5 साल से जिसका इंतजार गरीबों ने किया. निर्धारित समय में पूरी गुणवत्ता के साथ सभी गरीबों को उनका आवास मिलेगा. अजय चंद्राकर ने कहा कि इस योजना का सोशल ऑडिट किया जाना चाहिए. 15 साल में 5 लाख पंप कनेक्शन देना लंबित है. सिंचाई की ओर कोई ध्यान नही दिया, केवल धान, धान और धान का ही राग आलापते रहे. शराब घाटोले की जांच को लेकर कहा कि ईडी को सरकार पूरा सहयोग करे.

कवर्धा में हुए झंडे मामले और साजा में हुई भुवनेश्वर साहू की हत्या का मामला उठाते हुए कहा कि इस पर सीबीआई की जांच होनी चाहिए. धर्मांतरण के मामले पर कहा कि आप धर्मांतरण के मामले पर किसी व्यक्ति को संरक्षण दोगे, यह गलत है. पत्रिका किलोल का जिक्र करते हुए कहा कि आखिरकार उसका क्या हुआ और उसके पीछे कितना पैसा गया. इस पर जांच करना आवश्यक है.

अजय चंद्राकर ने कहा कि 27 करोड़ से ऊपर कोरोना के सेस के रूप में वसूले गए और आखिरकार उसे दूसरे मद में खर्च करने का हक इन्हे किसने दिया जांच की जानी चाहिए. नरवा, गरवा, घुरवा और बारी और गोधन न्याय योजना में हुए भ्रष्टाचार का भी जिक्र करते हुए कहा कि सीबीआई को भ्रष्टाचार करने के लिए बैन किया गया. इसके साथ ही कहा कि पूरे सदन को भूपेश बघेल के नेतृत्व में चंद्रखुरी जाना चाहिए. केवल मूर्ति के नाम पर इन्होंने पैसा खाने का काम किया है. आखिरकार भगवान राम चंद्रखुरी और चंपारण कब गए?

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