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छत्तीसगढ़ में 10 सीटों पर कांग्रेस की करारी हार: पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेंद्र साहू बोले – बाहरी चेहरा बना मुद्दा, हार की होनी चाहिए समीक्षा

रायपुर। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा एक सीट बढ़ाने में कामयाब रही. उसे इस बार प्रदेश की 11 में से 10 सीटों पर भाजपा को जीत मिली है. वहीं पिछले चुनाव में 2 सीटें जितने वाली कांग्रेस को चुनाव में सिर्फ कोरबा सीट ऐसे जीत मिली है. यहां वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत ने बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय को हराकर यहां से जीत हासिल की. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक धनेंद साहू ने प्रत्याशियों के गलत चयन को कांग्रेस की इस हार की वजह बताया है. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस की हार के बाद बीजेपी के बयानों पर पलटवार किया है.

छत्तीसगढ़ में लोकसभा के नतीजों पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेंद साहू ने कहा- इस हार की समीक्षा होनी चाहिए. हमारी चुनाव में बड़े चेहरों को लड़ाने पर सहमति बनी थी, लेकिन कोई व्यक्ति बहार (दूसरी सीटों पर) जाकर चुनाव लड़े इसे लेकर सहमति नहीं थी. बाहरी चेहरे को बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान पर उतारना मुद्दा बना, इसकी समीक्षा होनी चाहिए. दुर्ग लोकसभा से चार से पांच लोगों को जगह मिली थी, लेकिन हम वहीं से इतनी बुरी तरह से हार गए.

यह हमारी पार्टी का मामला, उन्हें बोलने का कोई हक नहीं

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर मंत्री रामविचार नेताम ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा था कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का लीडर कौन है पता नहीं, पर कांग्रेस की हार का जिम्मा लेने वाला कोई नहीं है. रामविचार नेताम के इस बयान पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेंद साहू ने कहा कि यह हमारी पार्टी का मामला उन्हें बोलने का कोई हक नहीं है.

लोकसभा चुनाव में NDA गठबंधन की जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण को लेकर कांग्रेस पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू ने कहा कि यह पहली बार हो रहा है कि इतनी हड़बड़ी में कोई प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह हो रहा हो. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि लगता है कि उन्हें अपने लोगों पर भरोसा नहीं है. कहीं कोई बगावत न हो जाए इस डर से वो शपथ की हड़बड़ी कर रहे है.

कांग्रेस और I.N.D.I.A गठबंधन की चुनाव में सफलता को लेकर प्रदेश अध्यक्ष धनेंद साहू ने कहा कि हमें राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी जीत मिली है. यह खुशी का मौका है. हालांकि, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के परिणाम निराशाजनक रहे. कभी यहां की सभी सीटें हमारी होती थीं लेकिन अब एक सीट भी नहीं मिली, यह दुख का विषय है.

जातिगत समीकरण के मद्देनजर टिकिट बांटें फिर भी फेल

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और I.N.D.I.A गठबंधन ने जातिगत समीकरण के आधार पर टिकट का बंटवारा किया था , लेकिन कई सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा. इस पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेंद साहू सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान तो रखा जाता है, लेकिन केवल जाति के लेवल पर किसी को टिकिट नहीं देनी चाहिए. यह भी देखना चाहिए की उस व्यक्ति की समाज में कितनी स्वीकार्यता है, हालांकि, हार के और भी कई कारण होते हैं.

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