बिलासपुर- पूर्व वन,आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर के रिश्तेदार की कंपनी द्वारा किए गए फर्जीवाड़ा का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। नवा रायपुर में कंपनी को मिले 210 करोड़ के टेंडर को राज्य शासन ने रद कर दिया है। जिन दस्तावेजों के आधार पर ठेका कंपनी ने करोड़ों का ठेका हासिल किया था ,उसकी तकनीकी दक्षता ही पूरी नहीं की है। ठेका निरस्त करने के साथ ह राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में केविएट दायर कर दिया है। मामला अब हाई कोर्ट पहुंच गया है।
वर्ष 2018 से 2023 के बीच छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार काबिज थी। इस दौरान नवा रायपुर व रायपुर के कई हिस्सो में एक हजार करोड़ से अधिक के अलग-अलग कार्यों के लिए टेंडर जारी किया गया था। टेंडर जारी करने के साथ ही ठेका कंपनी को वर्क आर्डर भी जारी कर दिया गया था। राज्य में भाजपा की सरकार काबिज होने के बाद पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान विकास कार्य के नाम पर की गई गड़बड़ियों की दस्तावेजी प्रमाण के साथ शिकायत दर्ज कराई गई है। दस्तावेजों की पड़ताल के बाद राज्य शासन ने जांच बैठा दिया था। नवा रायपुर में 210 करोड़ रुपये के टेंडर को राज्य शासन ने निरस्त कर दिया है। आवास एवं पर्यावरण विभाग के अलावा नवा रायपुर विकास प्राधिकरण ने रायपसुर कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (आरसीपीएल) पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। टेंडर रद करने के बाद नवा रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) ने ठेका कंपनी के खिलाफ हाई कोर्ट में केविएट दायर किया है। एनआरडीए ने दायर केविएट में ठेका कंपनी द्वारा याचिका दायर करने और उसकी याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला देने से पहले पक्ष रखने की मांग की है। मालूम हो कि 210 करोड़ रुपये के कार्यों के टेंडर निरस्त होने के मामले में कंपनी ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। दायर केंविएट में केविएटर एनआरडीए ने कहा है कि नोटिस जारी होने के बाद भी कंपनी ने अपना पक्ष नहीं रखा है। सात दिन बीतने के बाद कंपनी को दी गई समय-सीमा भी खत्म हो जाएगी।
इसके बाद एनआरडीए कंपनी पर एकतरफा कार्रवाई के लिए बाध्य हो जाएगी। 18 जनवरी को सबूतों और शिकायतों के आधार पर राज्य शासन की ओर से ठेका कंपनी पर कार्रवाई की गई थी। आरोप है कि पूर्व वन,आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर के रिश्तेदार व रायपुर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के एमडी असगर अली को जिन दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों का कार्य दिया गया था। उसमें तकनीकी दक्षता ही पूरी नहीं है। रायपुर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को अब तक 120 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है। इसके अलावा कई और बिल कंस्ट्रक्शन कंपनी ने विभाग में लगाए गए हैं। हालांकि सरकार ने कंपनी का सारा भुगतान रोक दिया है। इससे पहले भी स्मार्ट सिटी लिमिटेड रायपुर ने भी कंपनी को लाखों का भुगतान किया है।